बोलना और प्रतिक्रिया करना जरूरी है,
लेकिन संयम और सभ्यता का दामन नहीं छूटना चाहिये
कहानी शरू हुए हैं तो खत्म भी होगी ,
किरदार काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे
थक जाओ तो आराम कर लो,
लेकिन कभी हार मत मनो
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अभिमान तब आता है
जब हमे लगता है हमने कुछ काम किया है,
और
सम्मान तब मिलता है जब दुनिया को लगता है,
कि आप ने कुछ महत्वपूर्ण काम किया है
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जो दूसरों को इज़्ज़त देता है
असल में वो खुद इज़्ज़तदार होता है
क्योकि
इंसान दूसरो को वही दे पाता है
जो उसके पास होता है।
जब आप “फिक्र” में होते हैं तो खुद जलते हैं,
और
जब आप “बेफिक्र” हो जाते हैं, तो दुनिया जलती है